Friday, 21 August 2020 16:04

UG, SEM 6, HINDI, Paper GE, Topic- टिप्पण लेखन by DR SANDHYA SINHA UG, SEM 6, HINDI

टिप्पण लेखन 
 
टिप्पण:- प्रशासनिक पत्राचार में टिप्पण तथा आलेखन का विशेष महत्व होता है। कार्यालय में आएँ पत्र पर अथवा कार्यालय की स्वतंत्र आवश्यकताओं की संपूर्ति के लिए टिप्पणी तैयार की जाती है। टिप्पणी का अर्थ है- पत्र अथवा पत्र-संदर्भ के बारे में आवश्यक जानकारी तथा टिप्पणीकार का कार्यालय के विधिविधान के अन्तर्गत उस पर अपना सुझाव देना। इन्हीं सुझावों के आधार पर आलेखनकार पत्रोत्तर का प्रारूप तैयार करता है। अर्थात, सरकारी कार्यप्रणाली में विचाराधीन कागज या मामले के बारे में उनके निपटान हेतु सुझाव या निर्णय देने के परिणामस्वरूप जो अभ्युक्तिया (Remarks) फाइल पर लिखी जाती है, उन्हें टिप्पण या टिप्पणी(Noting) कहते हैं। टिप्पणी में सन्दर्भ के रूप में इससे पहले पत्रों का सार, निर्णय आदि हेतु प्रश्न तथा विवरणादि सब कुछ अंकित किया जाता है। वास्तव में सभी प्रकार की टिप्पणियाँ सम्बन्धित कर्मचारी-अधिकारियों द्दारा विचाराधीन मामले के कागज पर लिखी जाती है। कार्यालयीन आवश्यकता के अनुसार अत्याधिक महत्व प्राप्त मामलों में अनुभाग अधिकारी आदि के स्तर से टिप्पणी आरम्भ होती है अन्यथा मामले के स्वरूप के अनुसार परम्परागत रूप से टिप्पणी लिपिक अथवा सहायक (Assistant) के स्तर में शुरू की जाती है। मंत्री, प्रधानमंत्री अथवा राष्ट्रपति आदि के द्दारा लिखी गई विशेष टिप्पणियाँ 'मिनट' (Minute) कही जाती है। टिप्पण को बनाते समय कुछ उदेश्य को ध्यान में रखना पड़ता है जैसे, सभी तथ्यों को स्पष्ट रूप में तथा संक्षेप में अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करना और अगर किसी मामले में दृष्टांत अथवा विशिष्ट निर्णय उपलब्ध हो तो उनकी ओर संकेत करना। दूसरा- वांछनीय विषय अथवा पत्र-व्यवहार पर अपने विचारों को स्पष्ट करना। तीसरा- यह स्पष्ट करना कि 'आवती' के अंतिम निर्वाण के लिए क्या कार्यवाही की जानी चाहिए। इससे अधिकारी को निर्णय करने में सहायता मिल जाती है।
 
 
 
 
 
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