जमशेदपुर 1 दिसंबर 2022
करीम सिटी कॉलेज के अंग्रेजी स्नातकोत्तर विभाग तथा खुसरो फाउंडेशन, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय (30 नवम्बर-1 दिसम्बर) राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया जा रहा है जिसका विषय है- "सूफी साहित्य एवं भारतीय संस्कृति की बहुलता"।
यह सेमिनार अपने स्वरूप में ऐसा है कि जिस के कुछ भाग ऑफलाइन तथा कुछ भाग ऑनलाइन आयोजित किए जा रहे हैं। बुधवार संध्या 5:00 बजे करीम सिटी कॉलेज के ऑडिटोरियम में इस सेमिनार का मुख्य भाग आयोजित हुआ जिसमें मुख्य अतिथि खुसरो फाउंडेशन के चेयरमैन तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त स्कॉलर प्रोफेसर अख्तरुल वासे थे। तथा विशिष्ट अतिथि उर्दू के विद्वान तथा लेखक श्री फारुक अरगली। सेमिनार के इस मुख्य भाग में शहर के बुद्धिजीवी तथा साहित्यकार लोग बड़ी संख्या में सम्मिलित हुए। सभा का संचालन सेमिनार के कन्वेनर डॉ एस एम यहिया इब्राहिम ने किया। स्वागत भाषण करीम सिटी कॉलेज के सचिव डॉ मोहम्मद जकरिया ने किया तथा विषय प्रवेश के तौर पर कॉलेज के प्राचार्य डॉ मोहम्मद रेयाज ने सभा के सामने अपनी बात रखी। विशिष्ट अतिथि फारूक अरगली ने "भारत में धार्मिक बहुलता के बीच सूफी संतों की भूमिका" के विषय पर विस्तार से अपनी बात रखी। अंत में प्रोफेसर अख्तरुल वासे ने सभा को संबोधित किया और बहुत ही प्रभावी ढंग से अपनी बात रखी। उनके वक्तव्य का विषय था- "इस्लाम एक परिचय एवं यहां की एकता व सद्भावना के प्रति सूफियों का संदेश"
अपने विषय पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि भारत सूफी संतों का एक देश है और यहां सूफी संतों ने जिस संस्कृति की बुनियाद डाली उसके पक्षधर आज भी भारत में अल्पसंख्यक नहीं बल्कि बहुसंख्यक हैं। हमें चाहिए कि हम उनसे जुड़े। यदि ऐसा हुआ तो हमारे देश में धर्म और विचारों की विभिन्नता के बीच भी हमारी अस्ल संस्कृति जीवित रहेगी।
इस सभा से पहले पूर्वाहन 10:30 बजे सेमिनार का पहला सत्र ऑनलाइन आयोजित हुआ जिसमें मिर्जा गालिब कॉलेज के अंग्रेजी के विभागाध्यक्ष प्रो ऐन ताबिश ने आधार व्याख्यान दिया जिसका विषय था- "चिश्ती सूची साहित्य एवं भारत की साझा संस्कृति" इसके अलावा कई तकनीकी सत्र भी आयोजित किए गए। अंत में डॉ बासूधरा राय ने धन्यवाद ज्ञापन किया।