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Marketing Strategies. (PART B) | M.Com (SEM IV)

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Urdu UG sem6 Ghalib ki Shaerana Azmat -1

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Mutagenic Agents Subtopic: Complete

Thursday, 03 September 2020 22:14

Notes in pdf by Md Issa for UG(URDU) Sem-6 CC-13.

 
 
हिन्दी की पारिभाषिक शब्दावली
 
 प्रयोजनमूलक हिन्दी का महत्वपूर्ण अंग है। इस शब्दावली ने हिन्दी को ज्ञान, विज्ञान प्रषासन, वाणिज्य और जनसंसार की भाषा बनने का गौरव प्रदान किया है। साहित्यिक भाषा से राजभाषा बनने की यह यात्रा अनेक सोपान पार कर यहाँ तक पहुँची है। पारिभाषिक शब्दों का निर्माण, निर्माण के आधार, शब्दावली का महत्व इस प्रक्रिया द्वारा समझा जा सकता है। यह शब्दावली हिन्दी की सम्मान वृद्धि में सहायक सिद्ध हुई है। यह हमारी गौरवशाली उपलब्धि है।
 
हिन्दी भाषा का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। ग्रामीण हों या शहरी, पढे लिखे हों या अनपढ़, व्यवसायी, अध्यापक, डॉक्टर या वकील हों, हिन्दी भाषा के बिना किसी का काम नहीं चलता है। यह भाषा इस देश की धडकन है। सामान्य व्यवहारों की भाषा से साहित्यिक भाषा तक हिन्दी ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। सन् 1950 में हिन्दी को राजभाषा का स्थान प्राप्त हुआ। हिन्दी अब सरकारी कामकाज की भाषा बन गई। स्वतंत्रता से पूर्व शासकीय कार्य अंग्रेजी भाषा में सम्पन्न किए जाते थे। अंग्रेजी से पूर्व राजभाषा फारसी थी। ‘‘ जैसे-जैसे राजतंत्री परम्पराएँ बिखरती गई अनेक देशों में जनतांत्रिक व्यवस्थाएँ उभरकर सामने आई तो उन्होंने अपने-अपने यहाँ बोली तथा समझी जाने वाली प्रमुख जनभाषा को राजभाषा को पद प्रदान किया।1 इसी क्रम में स्वाधीन भारत के संविधान के अनुसार केन्द्र सरकार के कामकाज के लिए देवनागरी में लिखित हिन्दी को 26 जनवरी 1950 को भारत की राजभाषा घोषित किया गया।
 
राजभाषा का उत्तरदायित्त्व ग्रहण करते ही हिन्दी भाषा साहित्य से इतर, न्याय, विज्ञान, वाणिज्य, प्रशासन, जनसंचार, विज्ञापन, अनुवाद एवं रोजगार की भाषा बन गई। कार्यालयीन, कामकाजी और व्यावहारिक भाषा के रूप में हिन्दी की नयी पहचान बनी। इसे हिन्दी का प्रयोजनीय पक्ष कहा गया। तब से आज तक हिन्दी की प्रयोजनीयता पर कार्य हो रहे हैं। अथक प्रयासों से हिन्दी अपने सभी पक्षों, सभी क्षेत्रों में सफल हो रही है। सबसे पहले तो उसे ऐसी शब्दावली विकसित करनी पडी जो न्याय, जनसंचार, पत्रकारिता, मीडिया, विज्ञान और विज्ञापन की आवश्यकता को पूर्ण कर सके। यही शब्दावली पारिभाषिक शब्दावली कही जाती है।
 
पारिभाषिक शब्दावली : आशय
 
 
शब्द से आशय वर्गों के सार्थक समूह से है। ‘‘मनुष्य जगत के व्यवहार, चिन्तन-मनन और भावन की सभी स्थूल-सूक्ष्म अभिव्यक्तियाँ शब्द के अर्थाभाव से चरितार्थ होती है। तत्त्वत : शब्द और अर्थ अभिन्न है। इसलिए महाकवि तुलसीदास कहते हैं- गिरा अरथ जल बीच सम कहियत भिन्न न भिन्न।’ परम्परा, परिस्थिति और प्रयोग से शब्द और उनका अर्थ जीवित रहता है। शास्त्र, विशिष्ट विषय अथवा सिद्धान्त के सम्प्रेषण के लिए सामान्य शब्दों के स्थान पर विषिष्ट शब्दावली की आवश्यकता होती है। यही शब्दावली पारिभाषिक शब्दावली कहलाती है। कुछ विद्वान इसे तकनीकी शब्दावली कहते हैं।
 
डॉ. माधव सोनटक्के इसे ‘ज्ञान विज्ञान की असीम परिधि को व्यक्त करने वाली शब्दावली’ कहते हैं वहीं डॉ. सत्यव्रत दैनिक जीवन में नए विचार और वस्तुओं के लिए नए शब्दों के आगमन को पारिभाषिक शब्द मानते हैं। पारिभाषिक शब्द का अर्थ है- जिसकी परिभाषा दी जा सके। परिभाषा किसी विषय, वस्तु या विचार को एक निश्चित स्वरूप में बाँधती है। सामान्य शब्द दैनिक व्यवहार में, बोलचाल में प्रयुक्त होते है। जैसे दाल, चावल, कमरा, घर, यात्रा, नदी पहाड़ आदि। पारिभाषिक शब्द विषय विषेष में प्रयुक्त होते हैं। जैसे- खाता, लेखाकर्म, वाणिज्य, प्रबन्ध, लिपिक, वेतन, सचिव, गोपनीय आदि। ये शब्द वाणिज्य और प्रशासन के पारिभाषिक शब्द हैं। प्रशासन शब्दकोश में लिखा है- ‘‘पारिभाषिक शब्द का एक सुनिश्चित और स्पष्ट अर्थ होता है। किसी विषेष संकल्पना या वस्तु के लिए एक ही शब्द होता है, विषय विषेष या संदर्भ में उससे हटकर उसका कोई भिन्न अर्थ नहीं होता।’’
 
डॉ. भोलानाथ तिवारी ने लिखा है-‘‘ पारिभाषिक शब्द ऐसे शब्दों को कहते हैं जो रसायन, भौतिक, दर्शन, राजनीति आदि विभिन्न विज्ञानों या शास्त्रों के शब्द होते हैं तथा जो अपने अपने क्षेत्र में विशिष्ट अर्थ में सुनिश्चित रूप से परिभाषित होते हैं। अर्थ और प्रयोग की दृष्टि से निश्चित रूप से पारिभाषित होने के कारण ही ये शब्द पारिभाषिक कहे जाते है।’’ कमलकुमार बोस ने पारिभाषिक शब्द को इस प्रकार समझाया है-‘‘ पारिभाषिक शब्द से तात्पर्य उन सारी शब्दाभिव्यक्तियों से है जो नव्य शास्त्र, प्रशासन, विज्ञान और व्यवहार में विशिष्ट अर्थ के लिए प्रयुक्त होती है।’’ इस प्रकार विषय विशेष में प्रयुक्त होने वाला विशिष्ट शब्द पारिभाषिक शब्द कहलाता है।
 
 
 
 
 
Thursday, 03 September 2020 22:12

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